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मध्य प्रदेश सरकार ने पशुपालन ऋण योजना जारी कर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए

मध्य प्रदेश सरकार ने पशुपालन ऋण योजना जारी कर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए

मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैय्या कराने के लिए पशुपालन ऋण योजना लेकर आई है। इसके जरिए से राज्य की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में बेरोजगारी की दिक्कत को कम करने के लिए इस योजना को जारी किया है। इससे राज्य में बेरोजगारी को तो कम किया ही जा सकता है। साथ ही, लोगों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। सरकार इस पशुपालन ऋण योजना के जरिए युवाओं को पशुओं का पालन आरंभ करने के लिए कर्ज भी उपलब्ध करा रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने बताया है, कि प्रदेश में निरंतर बढ़ रही बेरोजगारी की परेशानियों को कम करने के लिए सरकार इस योजना को लेकर आई है। इस योजना का प्रमुख केंद्र बिंदु राज्य के युवा हैं।

पशुपालन ऋण योजना के बारे में जानें

यदि आपके समीप पांच से ज्यादा की संख्या में पशु हैं, तो आप इस पशुपालन ऋण योजना 2023 का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना में आवेदन करने वाले को सरकार की तरफ से दस लाख रुपये तक का कर्ज प्रदान किया जाएगा। इस कर्ज की राशि को आवेदन करने वालों के बैंक खाते में सीधा भेजा जाएगा। आप इस धनराशि का इस्तेमाल स्वयं के पशुपालन का व्यवसाय चालू कर सकते हैं।

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योजना का प्रमुख उद्देश्य

मध्य प्रदेश सरकार की इस ऋण योजना के लक्ष्य के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार राज्य के नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहती है। यह प्रदेश के उन नागरिकों को पशुपालन का रोजगार चालू करने के लिए बैंक से ऋण भी प्रदान करेगा। इसकी सहायता से लोग भैंस पालन, गाय पालन एवं बकरी पालन आदि का काम कर सकेगें। इसके लिए आप आवेदन करने के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.mpdah.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

योजना के प्रमुख तथ्य

इस पशुपालन ऋण योजना के लिए आवेदन समस्त वर्ग के लोग कर सकते हैं। साथ ही, इसका फायदा केवल उन लोगों को दिया जाएगा, जिनके पास पांच या पांच से अधिक पशु उपलब्ध हों। इस योजना के जरिए लोगों को पशुपालन रोजगार आरंभ करने के लिए दस लाख रुपए तक का कर्जा दिया जाएगा। इस ऋण पर बैंक द्वारा 5% का ब्याज भी वसूला जाएगा।
स्वदेशी गाय खरीदने पर यह सरकार दे रही 80 हजार रुपए की धनराशि

स्वदेशी गाय खरीदने पर यह सरकार दे रही 80 हजार रुपए की धनराशि

उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ ने ‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ के तहत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना शुरू की है. 

इस योजना के तहत इनका उद्देश्य गौ पालकों की आय, रोजगार उपलब्ध कराना, स्वदेशी गायों की नस्लों को बढ़ाना, गौ पालको का स्वदेशी गायों के प्रति रुझान बढ़ाना एवं दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना है। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गौवंशों के प्रति प्रेम साफ तौर पर देखने को मिलता है। योगी सरकार गोवंशों एवं उनकी सुरक्षा को लेकर नवीन योजनाएं जारी करती रहती हैं। 

साथ ही, पशुपालकों एवं किसानों के हित में योजनाएं एवं अभियान चलाए जाते रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी ने ‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ के अंतर्गत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना चालू की है। 

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य यह है, कि यूपी के गौ पालकों की आमदनी बढ़ सके और पशुपालन में रोजगार मुहैय्या कराया जा सके। इसके अतिरिक्त दूसरे राज्यों से स्वदेशी नस्लों की गायों के प्रति गौ पालकों की रूचि बढ़ाई जा सके। साथ ही, दुग्ध उत्पादन में भी बढोत्तरी हो सके। 

साथ ही, योजना को लेकर शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में इस योजना से जुड़ी पात्रता, सब्सिडी के मानक, उद्देश्य एवं स्वरुप को स्पष्ट रुप से दिया गया है।

जानें कौन-सी गायों को खरीदने पर मिलेगा अनुदान

मुख्यमंत्री स्वदेशी योजना के मुताबिक, गौ पालकों को दूसरे राज्यों से थारपारकर, गिर, संकर और साहिवाल नस्ल की गाय खरीदने पर उन्हें ट्रांसर्पोटेशन, ट्रांजिट इंश्योरेंस एवं पशु इंश्योरेंस सहित अन्य सामानों पर खर्च होने वाली धनराशि पर अनुदान प्रदान करेगी। 

गौ पालकों को यह अनुदान दो स्वदेशी नस्ल की गायों को खरीदने पर मिलेगा। यह अनुदान गौ पालकों को कुल लागत धनराशि का 40 प्रतिशत मतलब कि 80 हजार रुपये दिया जाएगा। सबसे पहले यह योजना सिर्फ उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों के मुख्यालय के जनपदों में लागू की जाएगी। इसके उपरांत संपूर्ण राज्य के जनपदों में लागू की जाएगी। 

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‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ के तहत जारी की गई नवीन योजना

अपर मुख्य सचिव पशुपालन डॉ. रजनीश दुबे का कहना है कि, ‘नन्द बाबा मिशन के तहत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना जारी की गई है। इसका प्रमुख उद्देश्य सिर्फ राज्य में स्वदेशी उन्नत नस्ल की गायों की तादात और उनकी नस्ल को बढ़ाना। 

जिससे कि राज्य में दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हो सके। साथ ही, प्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सके। इसके साथ ही राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं एवं महिलाओं को पशुपालन व्यवसाय के लिए बढ़ावा दे कर उन्हें रोजगार मुहैय्या करा सकें। 

दुग्ध आयुक्त एवं मिशन निदेशक शशि भूषण लाल सुशील ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना का फायदा उठाने के लिए गौ पालक को अन्य दूसरे राज्य से स्वदेशी उन्नत नस्ल की गाय को खरीदना होगा।

यह बीमा बेहद आवश्यक है

दरअसल, इस योजना पर मुख्य विकास अधिकारी शीघ्र ही एक अनुमति पत्र जारी करेंगे। जिसे लाभार्थी को दूसरे राज्य से स्वदेशी नस्ल की गाय खरीदने के लिए जारी किया जाऐगा। 

क्योंकि, गौ पालक या लाभार्थी को गायों के परिवहन में किसी भी प्रकार की परेशानी न खड़ी हो। इसके अतिरिक्त दो स्वदेशी गायों का 3 साल का पशु बीमा एकमुश्त कराना जरूरी है। साथ ही, दूसरे राज्य से अपने राज्य में गाय को लाने के लिए ट्रांजिट बीमा भी कराना अति आवश्यक है। 

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जानिए किन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी

मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को अनुदान गाय की खरीद, ट्रांसपोर्टेशन, ट्रांजिट इंश्योरेंस और पशु इंश्योरेंस, 3 साल का पशु बीमा, चारा काटने की मशीन की खरीद एवं गायों के रखरखाव की सुविधा व शेड के निर्माण पर दी जाएगी। 

विभाग की तरफ से इन समस्त सामानों में गौ पालक का खर्च दो स्वदेशी नस्ल की गायों के लिए 2 लाख रुपये निर्धारित किया गया है। इसका 40 प्रतिशत मतलब कि अधिकतम 80 हजार रुपये अनुदान के रूप में दिये जाएंगे।

पीएम किसान सम्मान निधि की 15 वीं किस्त को आने में लगेगा समय जानें क्यों ?

पीएम किसान सम्मान निधि की 15 वीं किस्त को आने में लगेगा समय जानें क्यों ?

यदि आप भी पीएम किसान सम्मान निधि योजना का फायदा पाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको आज ही अपना दस्तावेजीकरण का काम पूर्ण कर लें।कृषकों को आर्थिक तौर पर सहायता प्रदान करने के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं। इन योजनाओं में से एक योजना पीएम किसान सम्मान निधि भी है। इस योजना के माध्यम से किसान भाइयों के खातों में प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की धनराशि भेजी जाती है। इस योजना के माध्यम से 2-2 हजार रुपये की धनराशि भेजी जाती है।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 14 किस्त भेजी जा चुकी हैं

योजना के अंतर्गत अब तक 14 किस्त भेजी जा चुकी हैं। फिलहाल, किसान भाइयों को 15वीं किस्त का बड़ी बेसब्री से इंतजार है। जो कि शीघ्र ही उनके खातों में पहुंच सकती है। परंतु, यदि आपने अब तक ई-केवाईसी नहीं कराई है अथवा फिर फॉर्म भरने के दौरान कुछ गलती की है, तो आपको योजना का फायदा नहीं मिलेगा।

पीएम किसान की 15 वीं किस्त आने में विलंभ है

यदि आप PM किसान सम्मान निधि पोर्टल पर अपना विवरण देख रहे हैं। साथ ही, आपकी आगामी किस्त के लिए राज्य की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो आपको 2000 रुपये की धनराशि मिलने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। क्योंकि मंजूरी अभी राज्य सरकार की तरफ से नहीं दी गई है। राज्य सरकार आपके दास्तावेजों को वेरीफाई करके केंद्र को request for transfer Sign देगी। राज्य मंजूरी के कारण पैसे नहीं मिलने वालों में वो किसान शामिल होंगे, जो किसान अपनी कृषि भूमि का समुचित दस्तावेजीकरण नहीं कर पाए हैं। इसके साथ ही जो किसान कृषि पंजीकरण नहीं कर पाए हैं।

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जानें rft sign के बारे में

बतादें, कि जब आप पीएम किसान सम्मान निधि की वेबसाइट पर जाकर अपना पेमेंट स्टेटस चेक करते हैं, तब कई बार Rft Signed by State for 1st, 2nd instalment लिखा नजर आता है। दरअसल, इसका मतलब यह है, कि राज्य की सरकार ने लाभार्थी के डेटा की जांच-परख कर ली है, जो कि ठीक है। इसके पश्चात राज्य की सरकार केंद्र सरकार से लाभार्थी पात्र के खाते में रुपये भेजने के लिए अनुरोध करती है। ऐसी स्थिति में आप इस बात का खास ध्यान रखें, कि आपकी तरफ से दिए गए समस्त दस्तावेज सही हों। ekyc प्रक्रिया का पूर्ण होना भी आवश्यक है।
Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

बिहार सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के कृषकों को मशरूम की खेती करने पर 50 फीसद तक अनुदान की सुविधा दी जा रही है। जिससे कि राज्य में मशरूम पैदावार के साथ-साथ मशरूम की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती कर कृषक कम समय में शानदार आमदनी कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए किसानों को मशरूम की खेती से जुड़ी सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मशरूम की खेती के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक तौर पर सहायता की जाती है। इसी कड़ी में अब बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए शानदार अनुदान की सुविधा उपलब्ध की है। दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से मशरूम की खेती करने वाले कृषकों को तकरीबन 50 फीसद तक की सब्सिड़ी दी जाएगी, जिससे राज्य में मशरूम की पैदावार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती पर सब्सिडी की यह सुविधा सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवा रही है। ऐसी स्थिति में आइए बिहार सरकार की ओर से किसानों को मिलने वाली मशरूम की खेती पर अनुदान के विषय में विस्तार से जानते हैं।

मशरूम की खेती पर कितना अनुदान मिलेगा

बिहार सरकार के द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम की खेती पर किसानों को सब्सिडी की सुविधा शुरू की गई है। सरकार की ओर से इस योजना के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत मशरूम उत्पादन इकाई का खर्चा लगभग 20 लाख रुपये तय किया गया है, जिसमें से राज्य के कृषकों को तकरीबन 10 लाख रुपये तक के अनुदान की सुविधा प्राप्त होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार की इस योजना में मशरूम स्पॉन एवं मशरूम कंपोस्ट पर 50 फीसद की आर्थिक सहायता मिलेगी।

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मशरूम की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन प्रक्रिया

यदि आप किसान हैं, एवं अपने खेत में मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो बिहार सरकार की यह योजना आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है। राज्य के इच्छुक कृषक मशरूम की खेती पर मिलने वाले अनुदान का लाभ उठाने के लिए बिहार बागवानी की आधिकारिक बेवसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस योजना से संबंधित ज्यादा जानकारी हांसिल करने के लिए किसान अपने समीपवर्ती कृषि विभाग से भी संपर्क साध सकते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई पीएम किसान उड़ान योजना

केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई पीएम किसान उड़ान योजना

पीएम किसान उड़ान योजना के अंतर्गत किसान अपने कृषि उत्पादों को देश-विदेश में निर्यात कर सकते हैं। इसके लिए किसानों से कोई शुल्क भी नहीं बसूला जाता। ट्रांस्पोर्टेशन के लिए ज्यादातर काम टैक्स फ्री हो जाते हैं। यह बिल्कुल, किसान रेल की तरह है। जहां ट्रेन परिवहन के माध्यम से संपूर्ण भारत में फल, सब्जियां, दूध और अन्य कृषि उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। खेती-किसानी से संबंधित कार्यों में कृषकों की सहायता के लिए केंद्र सरकार विभिन्न कृषि योजनाऐं चला रही हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी, लोन और बीमा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं, ताकि वे बेहतर ढ़ंग से कृषि कार्य कर सकें। खेती में कृषकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण उनकी फसल होती है। 

किसानों का सब कुछ उनकी फसल पर ही निर्भर होता है। यदि फसल बर्बाद हो जाए, तो इससे कृषकों को काफी हानि होती है। खासकर वो फसलें जो कटाई के बाद जल्द खराब हो जाती हैं। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक विशेष योजना चलाई गई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को उनके कृषि उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए हवाई ट्रांसपोर्ट की सुविधा प्रदान करती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, पीएम किसान उड़ान योजना या कृषि उड़ान योजना की।

किसान उड़ान योजना क्या है ?

कृषि उड़ान योजना के अंतर्गत किसान अपने कृषि उत्पादों को देश-विदेश में निर्यात कर सकते हैं। इसके लिए किसानों से कोई चार्ज भी नहीं लिया जाता। ट्रांपोर्टेशन के लिए अधिकांश काम टैक्स फ्री हो जाते हैं। यह बिल्कुल, किसान रेल की तरह है। जहां ट्रेन परिवहन के माध्यम से पूरे देश में फल, सब्जियां, दूध और अन्य कृषि उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। परंतु, कृषि उड़ान योजना द्वारा शीघ्र नष्ट होने वाले और कमसुविधित किसान उत्पादों का निर्यात किया जा सकता है। कृषि उड़ान योजना के तहत देश में 50 से अधिक हवाई अड्डे कृषि उत्पादों के वायु परिवहन के लिए जोड़ा गया है।

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जानिए किन-किन एयरपोर्ट्स पर सुविधा मिल रही है 

पीएम किसान उड़ान योजना के अंतर्गत, फूल, फल, सब्जी, डेयरी समेत कम अवधि वाले कृषि उत्पादों को देश और विदेशों में निर्यात करने का सुविधाजनक व्यवस्था है। इस प्रकार, उत्पादों को फ्लाइट के जरिए से त्वरित रूप से पहुंचाया जाता है, जिससे उत्पाद वक्त पर बाजार तक पहुंच सकते हैं। इससे किसानों को उचित मूल्य भी मिल सकता है। भारत का कोई भी किसान इस योजना का फायदा उठा सकता है। साल 2020 के बाद से ही इस योजना के अंतर्गत 53 से ज्यादा हवाई अड्डों को जोड़ा गया है। यह योजना मुख्यत: पहाड़ी क्षेत्रों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों से कृषि उत्पादों के परिवहन पर ध्यान केंद्रित करती है। क्योंकि, इन क्षेत्रों में सड़क परिवहन बेहद कठिन होता है। उत्पाद समय पर बाजार तक नहीं पहुंचने की वजह से खराब भी हो जाता है। इस प्रकार, कृषि उड़ान सेवा लेकर यह काम कुछ घंटों में पूरा हो जाता है।

रोटावेटर की खरीदी पर किसानों को मिलेगी सब्सिडी

रोटावेटर की खरीदी पर किसानों को मिलेगी सब्सिडी

सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कृषि यंत्र सुधार करने के लिए अनुदान योजना चलाई है। सरकार द्वारा किसानों को सस्ती दर पर कृषि यंत्र प्रदान की जा रही है। विभिन्न राज्यों में इस योजना को अलग-अलग नामों से चलाया जाता है। 

कृषि यंत्र अनुदान योजना राजस्थान (Krishi Yantra Anudan Yojana Rajasthan), कृषि यंत्रीकरण योजना उत्तर प्रदेश (Agricultural Mechanization Scheme) और ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना मध्यप्रदेश (E-Krishi Yantra Anudan Yojana) चल रही हैं। किसानों को इन योजनाओं के तहत राज्य अपने स्तर पर कृषि उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ देते हैं।

रोटावेटर का क्या कार्य होता है?

रोटावेटर का इस्तेमाल खेत को जोतने के लिए किया जाता है। रोटावेटर से जुताई करते ही जमीन भुरभुरी हो जाती है। इसकी सहायता से फसलों को मिट्टी में मिलाना बहुत आसान होता है। रोटावेटर के प्रयोग से खेत की मिट्टी उपजाऊ बनती है।

रोटावेटर पर किसानों को कितनी सब्सिडी मिलेगी

किसानों को राज्य सरकार से रोटावेटर खरीदने पर 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु और सीमांत किसानों और महिलाओं को कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत 20 बीएचपी से अधिक क्षमता वाले रोटावेटर की कीमत का 50 प्रतिशत, या 42,000 से 50,400 रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। 

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साथ ही, अन्य श्रेणी के किसानों को रोटावेटर की लागत पर 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी, जो 34,000 से 40,300 रुपये तक हो सकती है।

रोटावेटर कितनी कीमत तक मिल जाता है? 

कई कंपनिया रोटावेटर का निर्माण करती है साथ ही इनकी कीमत भी किसानों के बजट के आधार पर निर्धारित करती है। रोटावेटर की कीमत लगभग 50,000 रुपए से शुरू होकर 2 लाख रुपए तक है। रोटावेटर की कीमत इसके फीचर्स और स्पेसिफिकेशन के आधार पर निर्धारित की जाती है।

रोटावेटर की खरीदी के लिए पात्रता और शर्तें   

  • आवेदक के पास स्वयं के नाम से कृषि भूमि होनी चाहिए या अविभाजित परिवार में राजस्व रिकार्ड में नाम होना चाहिए।
  • ट्रैक्टर चलित कृषि यंत्र के लिए सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन आवेदक के नाम से होना चाहिए।
  • विभाग की किसी भी योजना में किसी भी प्रकार का कृषि यंत्र एक किसान को तीन वर्ष की अवधि में केवल एक बार दिया जाएगा।
  • एक वित्तीय वर्ष में एक किसान को सभी योजनाओं में अलग-अलग प्रकार के तीन कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाएगा।
  • राज किसान साथी पोर्टल पर सूचीबद्ध किसी भी पंजीकृत निर्माता या विक्रेता से कृषि यंत्र खरीदने पर ही अनुदान दिया जाएगा।

रोटावेटर की खरीद पर सब्सिडी लेने के लिए आवेदन प्रिक्रिया 

इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आपको राजकिसान पोर्टल पर आवेदन करना होगा जिससे की आपको समय पर योजना का लाभ प्राप्त हो सके। पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों का रैंडमाइजेशन के बाद ऑनलाइन वरीयता क्रम के आधार पर निस्तारण किया जाएगा। 

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जो किसान स्वयं आवेदन करना चाहते हैं, वे राजकिसान पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। यदि स्वयं आवेदन नहीं कर सकते हैं तो आप अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आप आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा किए जाने की प्राप्ति रसीद ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकते हैं। 

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज 

आवेदन करते समय आपके पास आधार कार्ड, जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नकल (जो छह माह से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए), जाति प्रमाण पत्र, ट्रैक्टर का पंजीयन प्रमाण-पत्र (आर.सी.) की प्रति (ट्रैक्टर चलित यंत्रों के लिए अनिवार्य) की आवश्यकता होगी।   

राज्य के किसानों कृषि कार्यालय से प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद ही कृषि यंत्रों की खरीदी कर सकेंगे। किसान को मोबाइल संदेश या उनके क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक से स्वीकृति की जानकारी दी जाएगी। 

कृषि उपकरण या मशीन की खरीद के बाद कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी द्वारा भौतिक जांच की जाएगी। सत्यापन के समय कृषि यंत्र की खरीद का बिल देना होगा। तब ही अनुदान का भुगतान किसान के बैंक खाते में डिजिटल रूप से किया जाएगा।

इस राज्य की सरकार डेयरी स्थापना के लिए 31 लाख का अनुदान मुहैय्या करा रही है

इस राज्य की सरकार डेयरी स्थापना के लिए 31 लाख का अनुदान मुहैय्या करा रही है

कृषकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न कोशिशें की जा रही हैं। सरकार किसानों को खेती के साथ पशुपालन के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। 

इसके लिए सरकार की तरफ से किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की तरफ से नंदिनी कृषक समृद्धि योजना (Nandini Krishak Samriddhi Yojana) का संचालन किया जा रहा है। 

विशेष बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत डेयरी खोलने के लिए सरकार की ओर से कृषकों को 31 लाख रुपए तक का अनुदान मुहैय्या कराया दिया जा रहा है। 

राज्य के पात्र किसान नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत आवेदन करके इस योजना का फायदा उठा सकते हैं।

डेयरी इकाई स्थापना के लिए कितना अनुदान दिया जा रहा है ?

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत किसान पशुपालकों को राज्य सरकार की तरफ से 25 दुधारू गायों की एक इकाई की स्थापना के लिए अनुदान दिया जाएगा। 

सरकार की तरफ से इकाई की स्थापना लागत 62,50,000 रुपए निर्धारित की गई है। इस पर पशुपालक किसान को 50% प्रतिशत यानी 31,25,000 रुपए का अनुदान यानी subsidy दी जाएगी। 

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ऐसे में उत्तर प्रदेश के पशुपालक किसान सरकार की इस योजना का फायदा उठाकर दुग्ध उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी में भी इजाफा कर सकते हैं।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना हेतु पात्रता और शर्तें क्या हैं ? 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए कुछ पात्रताएं भी निर्धारित की गई हैं। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के लिए जो पात्रता निर्धारित की गई हैं, वह निम्नलिखित हैं। 

उत्तर प्रदेश का कोई भी किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है। महिला आवेदक भी इस योजना की पात्र होंगी। किसान का बैंक में खाता होना अनिवार्य है। 

इस योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थी को कम से कम तीन साल गाय पालन का अनुभव होना जरूरी है। गायों की ईयर टैगिंग करना आवश्यक होगा। 

आवेदन करने वाले किसान के पास कम से कम 0.5 एकड़ जमीन का होना जरूरी है, ताकि वह गाय की डेयरी यूनिट की स्थापना कर सके। 

किसान के पास हरे चारे के उत्पादन के लिए कम से कम 1.5 एकड़ जमीन होनी चाहिए। यह जमीन पशुपालक की अपनी जमीन या लीज पर ली हुई जमीन भी हो सकती है। 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का लुफ्त उठाने हेतु अनिवार्य दस्तावेज 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना में आवेदन करने के लिए आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। आवेदन करते समय आवेदक किसान का पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, निवास प्रमाण-पत्र, बैंक खाता विवरण, राशन कार्ड, आधार से लिंक मोबाइल नंबर आदि दस्तावेज या डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होगी।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना हेतु आवेदन प्रक्रिया 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना को यूपी सरकार की तरफ से चलाया जा रहा है। ऐसे में यूपी के पशुपालक किसान इस योजना का खूब लाभ उठा सकते हैं। 

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इसके लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीके से आवेदन किया जा सकता है। आवेदनों की तादात ज्यादा होने पर लाभार्थी का चुनाव मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा ई-लॉटरी के जरिए से किया जाएगा। 

योजना के प्रारंभिक चरण में अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, झांसी, मेरठ, प्रयागराज, लखनऊ, आगरा और बरेली जिलों के पशुपालक किसान आवेदन कर सकते हैं। 

योजना में आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने संबंधित जनपदों के पशुपालन विभाग से संपर्क साध सकते हैं।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना की विशेष बातें  

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत किसानों को दूध बिक्री के लिए संसाधन मुहैय्या कराए जाएंगे। लाभार्थी पशुपालकों को दूध का सही भाव दिया जाएगा। 

दुग्ध सरकारी समितियों द्वारा पशुपालकों को उनके गांव में ही दूध बेचने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत सरकार द्वारा सभी किसानों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा, जिससे कि भविष्य में उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके।

पशु आहार व चारा बनाने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहन 

किसानों के साथ ही पशु आहार और चारा बनाने वाले उद्योगों को भी बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जाएगा। योजना की निगरानी के लिए जनपद और प्रदेश समिति का गठन किया गया है। 

किसानों को पशुपालकों के साथ-साथ देशी नस्ल की गाय खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे कि दूध की मात्रा में इजाफा हो सके। इस योजना के अंतर्गत जनपद की महिलाओं की अहम भूमिका होगी। 

इस योजना में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा। चयन पत्र की प्राप्ति के पश्चात लाभार्थी द्वारा 2 माह के अंदर स्वदेशी नस्ल की गिर, साहीवाल, हरियाणा या थारपारकर गाय का क्रय किया जाएगा।